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मेरी पावन शिव काशी




मेरी पावन शिव काशी


शिव काशी वैकुंठ धाम है, हरिहरपुर प्रिय अविनाशी;

शंकर-विष्णु यहाँ रहते हैं, बनकर सच्चा अधिशाषी;

बड़े प्रेम से गीत सुमंगल,गाते सारे देव-मनुज;

अद्भुत अतिशय रम्य सुरम्या, मेरी पावन शिव काशी।


जिसे प्रेम है शिव भोले से, वह बनने आता वासी;

जो संवेदनशील परम है, और सरल अंतेवासी;

वही थिरकता और मचलता, इस मनहर मधु नगरी पर;

अतिशय प्यारी मधुर प्रीतिमय, मेरी पावन शिव काशी।


संस्कृति-दर्शन-कला-ज्ञान, विज्ञान -गणित -साहित्य शशी;

आचार्यों का यह जमघट है, विज्ञ बाहरी प्रत्याशी;

बड़े-बड़े विद्वान धुरंधर, दिव्य देवगण रहते हैं;

परम अलौकिक धर्मपरायण, मेरी पावन शिव काशी।


बोझिल मन को शांति तभी जब, बनता है काशी वासी;

काशी सच में सदा सत्यमय, यहॉं नहीं कुछ भी आभासी;

रोग निवारक सहज सच्चिदा, आनंदक हर हर रज कण;

विघ्नहरण संकटमोचन है, मेरी पावन शिव काशी।


जो विपत्ति से घिर जाता है,आता सेवन को काशी;

बड़े-बड़े पापों से होता, मुक्त यहाँ का हर वासी;

प्रज्वल मन अरु निर्मल काया, का होता जो आतुर है;

उसे सहज अपना लेती है,मेरी पावन शिव काशी।





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2 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:10 PM

Nice

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Sushi saxena

08-Jan-2023 08:26 PM

👌👌👌

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